Mutual funds ke prakar in hindi.
इस से पहले हम Mutual Fund सही है, या नहीं और Mutual Fund में निवेश करने के तरीके के बारे में जान चुके है।
आज हम जानेंगे की Mutual Funds के प्रकार क्या है ?
Types Of Mutual Funds in Hindi :
Mutual Fund के पैसो को किन निवेश विकल्प में निवेश किया जाता है, उस पर से Mutual Fund के तीन प्रकार है :
- Equity Funds
- Debt Funds और
- Hybrid Funds
1) Equity Funds :
Types Of Mutual Funds में पहला प्रकार है, Equity Fund.
Equity यानि Equity Shares.
इस तरह के फंड में निवेश किया हुआ पैसा अलग अलग कंपनीओ के शेयर खरीदकर निवेश किया जाता है।
यह कंपनियां Mutual Fund के लक्ष्य के अनुसार Fund Manager द्वारा चुनी जाती है।
Fund Manager, Mutual Fund का पैसा सँभालने और उसके लक्ष्य के अनुसार निवेश चुनकर निवेश करने के लिए रखे जाते है।
यह Fund Managers बहुत से Funds, Manage करने के अनुभवी होते है।
Equity Fund बाकि सभी Funds की तुलना में सबसे ज्यादा जोखिम भरे होते है।
लेकिन साथ ही लम्बे समय के निवेश पर Return भी सबसे ज्यादा Equity Funds ही देते है।
इस लिए इस तरह के फंड जिन लोगो को लम्बे समय के लिए निवेश करना है, उनके लिए ही सही है।
और इसके साथ साथ जो लोग अपने पैसो पर थोड़ा ज्यादा जोखिम ले सकते है।
इस लिए उन्हें अपने उन पैसो को ही Equity Fund में निवेश करना चाहिए जिनकी जरुरत उन्हें कम से कम 5 साल तक न हो।
तभी इन Funds में निवेश का लाभ होगा और अच्छा रिटर्न मिलेगा।
Equity Fund के भी मुख्य तीन प्रकार है,
- Large Cap Funds (लार्ज कैप फंड्स)
- Mid Cap Funds (मिड कैप फंड्स)
- Small Cap Funds (स्मॉल कैप फंड्स)
यह प्रकार Mutual Fund जिन कंपनीओ में निवेश करते है, उनके Market Capitalization के हिंसाब से है।
Market Capitalization का मतलब है, कंपनी की शेयर बाजार में कुल कीमत।
जितना ज्यादा कंपनी का Market Capitalization उतनी ही कंपनी बड़ी।
यहा से पढ़े : Market Capitalization क्या होता है ?
i) Large Cap Funds (लार्ज कैप फंड्स) :
इस तरह के फंड में निवेश किया गया पैसा Large Cap कंपनीओ में निवेश किया जाता है जिसका Market Cap 10000 करोड़ से ज़्यादा होता है।
ये सभी कंपनिया देश की सबसे बड़ी कंपनिओ में से एक होती है।
जो की बहुत वर्षों से अपने व्यापार को अच्छी तरह से करती हो।
इस Mutual Funds में निवेश करने का एक फायदा यह होता है की जब बाजार ज्यादा गिरता है तब ये पुरे बाजार के मुकाबले कम गिरते है।
जिस से इस में निवेश किया हुआ पैसा बाकि दोनो तरह के Funds यानि Mid Cap और Small Cap funds से थोड़ा ज़्यादा सुरक्षित रहता है।
इन funds में निवेश करने का एक नुकशान भी है की जब बाजार में बहुत तेज़ी चल रही होती है तब भी इस तरह के funds में तेज़ी बाजार से थोड़ी कम होती है।
जिस से बाकि दोनों तरह के Funds के मुकाबले में इन Funds में रिटर्न थोड़ा कम मिलता है।
इस तरह के फंड्स में सभी निवेशको को थोड़ा पैसा तो निवेश करना ही चाहिए ताकि थोड़ी सुरक्षा मिल सके।
ii) Mid Cap Funds (मिड कैप फंड्स) :
इस तरह के फंड्स के पैसो को जिन कंपनीओ का Market Cap 500 करोड़ से 10000 करोड़ के बीचमे होता है उन कंपनीओ में निवेश किया जाता है।
इस तरह की कंपनिया Large Cap कंपनीओ से थोड़ी ज़्यादा जोखीम भरी होती है। इस लिए यह Large Cap से थोड़ा ज़यादा रिटर्न देती है।
यह तेज़ी के समय में ये Large Cap कंपनिओ से ज़्यादा रिटर्न देती है और गिरने के समय में Large Cap से ज़्यादा गिरती है।
इस तरह के फंड्स में भी निवेश की अवधि कम से कम 5 साल रखनी चाहिए।
iii) Small Cap Funds (स्मॉल कैप फंड्स) :
Small Cap funds जीन कंपनीओ का Market Cap 500 करोड़ से कम हो उन कंपनीओ में पैसा निवेश करते है।
ये कंपनियां बहुत छोटी होती है और सिर्फ कुछ सालो पहले ही शुरू हुयी भी हो शकती है।
ये कंपनिया अगर अच्छा काम करे तो सिर्फ कुछ ही सालों में कई गुना भी हो सकती है और अच्छा काम न करे तो बहोत गिर भी सकती है।
वैसे तो कोई भी Equity funds में निवेश करने पर जोखिम तो रहता है, लेकिन इस तरह के फंड्स में सबसे ज़्यादा जोखिम रहता है।
लेकिन साथ ही ये फंड्स सबसे ज़्यादा रिटर्न भी देते है।
इन फंड्स में अगर आप निवेश करेतो भी इस के साथ साथ एक Large Cap funds में भी निवेश करना चाहिए ताकि थोड़ी सुरक्षा मिल जाए।
2) Debt Funds :
Three Types Of Mutual Funds in Hindi में दूसरे नंबर पर है, Debt Funds.
Debt का सीधा मतलब है क़र्ज़।
इस तरह के फंड्स के पैसो को क़र्ज़ के रूप में दे कर उनसे ब्याज कमाया जाता है।
ऊपर दिए गए निवेश विकल्पों के प्रतिशत सिर्फ उदहारण के लिए है , असल में यह प्रतिशत अलग अलग होते है।
ये फंड्स सरकार के द्वारा जारी किये गए Bonds और T-bills को खरीदते है।
जो निश्चित समय के होते है और जिनसे निश्चित ब्याज निश्चित अवधि में मिलता रहता है।
ये फंड्स Commercial Papers,Certificate of Deposits और Debentures में भी निवेश करते है।
इन सभी विकल्पों में से निश्चित ब्याज मिलता रहता है।
इस लिए Debt funds में निवेश किया हुआ पैसा बाकि सबसे ज़्यादा सुरक्षित होता है लेकिन इनमें से रिटर्न अन्य तरह के फंड्स से कम मिलता है।
Debt Funds में सबसे ज्यादा निवेश उन लोगो को करना चाहिए जो की ज़्यादा जोखिम नहीं ले सकते।
जैसे जिनकी निवृती में कुछ साल ही बचे हो।
क्युकि उनके लिए निवेश की हुई राशि की सुरक्षा ज़्यादा अहम् होती है।
इन फंड्स में निवेश की अवधि और मिलने वाला रिटर्न विभिन्न फंड्स पर निर्भर करता है।
3) Hybrid Funds :
Three Types Of Mutual Funds in Hindi में तीसरे और आखरी नंबर पर है, Hybrid Funds.
Hybrid Funds में निवेश किए हुए पैसो का कुछ हिस्सा शेयर खरीद कर निवेश किया जाता है और बाकि का हिस्सा क़र्ज़ देने में उपयोग किया जाता है।
जिस से शेयर बाजार में निवेश कि हुई राशि से अच्छा रिटर्न मिल सके और क़र्ज़ के रूपमे निवेश की हुई रकम से सुरक्षा मिल सके।
ऊपर दिए गए निवेश विकल्पों के प्रतिशत सिर्फ उदहारण के लिए है , असल में यह प्रतिशत अलग अलग होते है।
इस तरह के फंड्स Equity Funds से कम जोखिम भरे और Debt Funds से ज़्यादा जोखिम भरे तथा ज़्यादा रिटर्न देने वाले होते है।
तो दोस्तों यह थे Mutual funds ke prakar in hindi
उम्मीद करता हु आपके लिए यह जानकारी उपयोगी साबित होगी।