acquisition of shares meaning in hindi
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Acquisition Meaning in Hindi

दोस्तों आपने हाल ही मे सुना होगा की Reliance Retail जो की Reliance Industries की Subsidiary कंपनी है, वह Future Group के होलसेल, रिटेल, लोजिस्टिक्स और वेरहाउस के बिज़नस को acquire करने जा रही है।

तो आपके मन मे भी यह सवाल होगा की Acquisition का मतलब क्या होता है ? 

इस लिए आज हम उसके बारे में ही जानेंगे।

हम जानेगे की Acquisition क्या होता है ? (Acquisition Meaning in Hindi) , कोई कंपनी किसी कंपनी को Acquire क्यु करेगी?


Acquisition से निवेशकों को क्या फर्क पड़ेगा ?

तो आइए पहले जानते है की,

Acquisition क्या होता है ? (Acquisition Meaning in Hindi)

Acquisition का सामान्य अर्थ होता है, अधिग्रहण कर लेना या फिर खरीद लेना।

शेयर बाजार में भी कंपनीयां अपने हिसाब से कुछ और कंपनीओ का अधिग्रहण करती है।

इसके लिए वह यातो पूरी कंपनी ही खरीद लेती है, या फिर उस कंपनी के 50 % से ज्यादा शेयर खरीद लेती है।

ऐसा करने से अधिग्रहण करने वाली कंपनी जिसका अधिग्रहण करना चाहती है, उसे Control कर सकती है।

जैसे साल May 2018 में दुनिया की सबसे बड़ी Retailer कंपनी Walmart ने Flipkart को Acquire कर लिया था।

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इसके लिए Walmart ने 16 Billion Dollar में Flipkart का 77 % हिस्सा खरीद लिया था।

जिस से अब Flipkart कंपनी Walmart द्वारा Control की जाती है।

स्वाभाविक रूप से हमें यह सवाल होगा ही की Acquisition Meaning in Hindi

कोई कंपनी दूसरी कंपनी को Acquire क्यु करेगी ?


एक कंपनी दूसरी कंपनी को कई कारणों से Acquire कर सकती है।

इन कारणों में

  • अपने प्रतिस्पर्धी को ख़त्म करना
  • नए देश में विस्तार करना
  • अपना खर्च कम करने और सुविधाए बढ़ाने के लिए

जैसे कई कारण सामिल है। Acquisition Meaning in Hindi

1) अपने प्रतिस्पर्धी को ख़त्म करना :

व्यापार में अक्सर ऐसा होता है, की कोई कंपनी का प्रतिस्पर्धी किसी वजहों से उस कंपनी के व्यापार को कम कर रहा हो।

ऐसे में उस कंपनी का व्यापार खतरे में हो सकता है।

इस लिए कुछ कंपनीयां जिस अपने प्रतिस्पर्धी से ज्यादा परेशान होती है, उसको किसी तरह से Acquire कर लेती है।

ज्यादातर कंपनीयां प्रतिस्पर्धी की सहमती से Acquire करती है। Acquisition Meaning in Hindi

लेकिन कुछ कंपनीयां सहमती न मिलने पर भी किसी तरह प्रतिस्पर्धी के 50 % शेयर खरीद कर Acquire कर लेती है।

ऐसा करने के बाद वह अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी को अपने अनुसार Control करती है।

और अपना Market Share बढ़ा लेती है।

2) नए देश में विस्तार करना :

किसी एक कंपनी का दूसरी कंपनी को Acquire करने का दूसरा कारण नए देश में विस्तार करना भी हो सकता है।

अगर कोई कंपनी किसी अन्य देश में अपना व्यापार फैलाना चाहे तो वह कई बार इस तरह का Acquisition करती है।

वह जिस देश में विस्तार करना चाहे उस देश की कोई Established कंपनी को Acquire कर लेती है।

जिस से वह आसानी से Acquire की गई कंपनी के जरिए अपना व्यापार कर सकती है।

जैसे हमने ऊपर बात की US की कंपनी Walmart ने साल 2018 मे भारत में अपना विस्तार करने के लिए भारत की कंपनी Flipkart का 77 % हिस्सा खरीद लिया था। Acquisition Meaning in Hindi

3) अपना खर्च कम करने और सुविधाए बढ़ाने के लिए :

कई कंपनीयां किसी अलग तरह की कंपनी को अपना खर्च कम करने और सुविधाए बढ़ाने के लिए भी Acquire करती है।

उदाहरण के तौर पर कंपनी A जो की E-commerce का काम करती है वो अभी अलग अलग जगह के Local Courier से अपना Courier भेजती है।

वही कंपनी C है, जिसके पास बहुत बढ़िया Network है, लेकिन उसकी Delivery करने की Cost ज्यादा होने की वजह से उसका व्यापार अच्छा नहीं चल रहा है।

तो अगर कंपनी A चाहे तो कंपनी C को Acquire कर सकती है। Acquisition Meaning in Hindi

फिर वह कंपनी C में किसी तरह Delivery का खर्च कम कर के अपना Courier सभी जगहों पर बहुत जल्दी पंहुचा सकती है।

इस तरह बहुत से कारणों की वजह से कंपनीयां अलग अलग कंपनीओ को Acquire करती है।

किसी कंपनी के Acquire हो जाने से उसके शेयर धारक को क्या फर्क पड़ेगा ?

एक कंपनी के दूसरी कंपनी को Acquire करने से सामान्य रूप से तो किसी शेयर धारक को फर्क नहीं पड़ता।

लेकिन कंपनी ने जिस दाम पर उस कंपनी के शेयर ख़रीदे है, उसका असर कंपनी के शेयर में हो सकता है।

जैसे ऊपर हमने बात की वैसे अगर कंपनी A कंपनी C में 50 % से ज्यादा हिस्सा 100 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से Acquire कर लिया।

अब Acquisition से पहले कंपनी C के शेयर का दाम 70 रुपए था जो स्वाभाविक रूप से Acquisition के बाद 100 रुपए तक जा सकता है। Acquisition Meaning in Hindi

इसी तरह कंपनी A के शेयर पर भी इस Acquisition का असर होगा।

जिस से कंपनी A और C दोनों के शेयर धारक के निवेश की किमत भी बदलेगी।

इस तरह शेयर धारक के निवेश पर Acquisition का असर होता है।

एक्वीजीशन के लाभ और नुकसान :

लाभ :

 
एक्वीजीशन से शेयर धारको को दो तरह से लाभ हो सकता है, Acquisition Meaning in Hindi
 
i) अगर आपने जिस कंपनी मे निवेश किया है, अगर उसको कोई दूसरी कंपनी थोड़े ज्यादा दाम पर acquire करती है, तो एसे मे आपकी कंपनी के शेयर का दाम बढ़ सकता है।
 
जैसे अगर आपने कंपनी A मे निवेश किया है और उसको कंपनी B उसके दाम से प्रीमियम पर acquire करती है, तो एसे मे कंपनी A के शेयर का दाम बढ़ सकता है। Acquisition Meaning in Hindi
 
ii) जैसे हमने ऊपर जाना की कई बार कंपनीया अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी को ही acquire कर लेती है, जिस से की उसका बाज़ार मे मार्केट शेयर बढ़ जाता है, जिस से उसका व्यापार लंबे समय मे बढ़ जाता है, और आखिर मे उसके शेयर धारक को ही लाभ होता है।
 

नुकसान :

कई बार कंपनीयां अपने व्यापार से बहुत ही अलग व्यापार को करने वाली कंपनी को acquire कर लेती है, ऐसे में ऐसी दोनों कंपनीओ को नुकसान हो सकता है। Acquisition Meaning in Hindi
जैसे अगर कंपनी X जो की एक FMCG कंपनी है, और दूसरी कंपनी  Y है, जो की एक आईटी कंपनी है। अगर कंपनी X कंपनी Y को acquire कर लेगी तो हो सकता है, की FMCG कंपनी का मैनेजमेंट आईटी कंपनी के व्यापार ठीक से न चला पाए।
ऐसे में दोनों कंपनीओ को आर्थिक नुकसान हो सकता है, जिस से उनके शेयर धारको को भी नुकसान होगा।

Acquisition से जुड़े कुछ सवाल और उसके जवाब:

  1. Acquisition क्या होता है ?

    Acquisition का सामान्य अर्थ होता है, अधिग्रहण कर लेना या फिर खरीद लेना।

  2. एक्वीजीशन क्यू किया जाता है?

    एक्विज़िशन कई बार व्यापार का विस्तार करने के लिए तो कई बार अपने प्रतिस्पर्धी को साथ मे जोड़ देने के लिए किया जाता है।

  3. Acquisition of shares क्या होता है ?

    जब कोई कंपनी किसी कंपनी का अधिग्रहण उसके शेयर खरीदकर करती है तो उसे Acquisition of shares कहा जाता है।

निष्कर्ष :

दोस्तों आज हमने जाना की Acquisition का मतलब किसी कंपनी को पूरी तरह या फिर 50 % से ज्यादा हिस्सा खरीद लेना।

और साथ में जाना की कोई कंपनी किसी और कंपनी को किन कारणों से Acquire करेगी ?

तो दोस्तों यह थी Acquisition Meaning in Hindi के बारे में जानकारी।

उम्मीद करता हु दोस्तों की यह जानकारी आपके लिए उपयोगी।

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धन्यवाद।

By Gaurav

Gaurav Popat एक निवेशक, ट्रेडर और ब्लॉगर है, जो की शेयर बाज़ार मे बहुत रुचि रखता है। वह साल 2015 से शेयर बाज़ार मे है। पिछले 7 साल मे खुद अलग अलग जगह से सीख कर और अनुभव के आधार पर शेयर बाज़ार और निवेश के विषय मे यहा पर जानकारी देता है।