debt to equity meaning in hindi
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Debt to Equity Meaning in Hindi

शेयर बाजार में अगर आप निवेशित रहना चाहते है, तो पैसा कमाने से पहले पैसा बचाने में ध्यान देना चाहिए।

अगर पैसा बच गया तो उस पर रिटर्न तो मिल ही जाएगा।

इस लिए अगर आप शेयर बाजार में अपना पैसा बचाना चाहते है, तो यह पोस्ट गंभीरता से पढ़ते रहे।

किन कंपनीओ में निवेश नही करना चाहिए ?

किसी भी कंपनी का विष्लेषण करते वक्त उसके Debt to Equity Ratio के बारे में जरूर जाने।

और जिन कंपनीओ का Debt to Equity Ratio 1 से ज्यादा हो उनमे निवेश नहीं करना चाहिए।

क्या है Debt to Equity Ratio ? (Debt to Equity Meaning in Hindi)


Debt to Equity Ratio किसी भी कंपनी के क़र्ज़ और Equity की स्थिति दर्शाता है। Debt to Equity Meaning in Hindi

Debt का मतलब है, क़र्ज़ और Equity का मतलब है कंपनी में निवेशक या मालिक का पैसा।

इस तरह Debt to Equity Ratio कंपनी के क़र्ज़ की राशि में कंपनी की Equity की राशि का भाग देने से बनता है।

Debt to Equity Ratio


अगर किसी कंपनी को अपनी वित्तीय स्थिति नियंत्रण में रखनी है, तो उसके लिए Debt to Equity Ratio 1 से कम होना चाहिए।

यानी अगर कंपनी में मालिक और निवेशक का पैसा 1 रुपए है, तो कंपनी में क़र्ज़ ज्यादा से ज्यादा 1 रुपए ही होना चाहिए।

यहाँ से पढ़े : शेयर बाज़ार में नुकसान से बचने के टिप्स। 

Debt to Equity ज्यादा होने का नुकसान क्या है ?


अक्सर कंपनियां अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए क़र्ज़ लेती है, जिसके लिए उन्हें ब्याज भी देना पड़ता है।

क़र्ज़ लेना कोई बुरी बात नहीं है। Debt to Equity Meaning in Hindi

लेकिन अगर कोई कंपनी बहुत ज्यादा क़र्ज़ लेती है, तो उसे ब्याज भी बहुत ज्यादा चुकाना पड़ता है।

और वह ब्याज तो निश्चित है, यानी किसी भी स्थिति में वह ब्याज तो चुकाना ही पड़ेगा।

ऐसे में जब तक कंपनी का व्यापार अच्छा होता है, तब तक अधिक क़र्ज़ वाली कंपनी भी बहुत अच्छा मुनाफा कमाती है।

लेकिन कोई भी व्यापार हमेशा एक जैसा नहीं रहता।

किसी भी व्यापार में कभी न कभी तो मंदी आती ही है। Debt to Equity Meaning in Hindi

व्यापार में मंदी की वजह से कंपनी का मुनाफ़ा भी कम हो जाता है।

लेकिन उसे जो ब्याज चुकाना है, वह तो उतना ही रहता है, जो कंपनी को चुकाना ही है।

ऐसी स्थिति में ज्यादा क़र्ज़ वाली कंपनी का ज़्यदातर या पूरा मुनाफ़ा ब्याज चुकाने में ही चला जाता है।

और कुछ कंपनियां तो नुकसान में भी आ जाती है। Debt to Equity Meaning in Hindi

और कोई भी निवेशक नुकसान में जा रही कंपनी में निवेश क्यु करेगा।

जिस से उस कंपनी के शेयर भी भारी मात्रा में गिर जाते है।

और उसके निवेशकों को नुकसान होता है। Debt to Equity Meaning in Hindi

ऐसी कंपनियां जब तक अपना क़र्ज़ कम न करे तब तक मुनाफे में नहीं आ सकती।

या किसी वजह से उसका व्यापार बढ़ जाए तभी मुनाफे में आ सकती है।

जबकि अगर कंपनी के पास क़र्ज़ कम होगा तो वह आसानी से अपना ब्याज चूका पाएंगी।

क्युकी कम क़र्ज़ होने से ब्याज भी कम ही देना पड़ेगा और ऐसी कंपनी नुकसान में नहीं जाएगी।

इस कारण से किसी भी कंपनी को अपना क़र्ज़ कम ही रखना चाहिए।

जिस से उसकी वित्तीय स्थिति नियंत्रण में ही रहे। Debt to Equity Meaning in Hindi

और उसके निवेशकों को नुकसान न हो।

कैसे जाने किसी भी कंपनी का Debt to Equity Ratio ?

अगर आप किसी भी कंपनी का Debt to Equity Ratio जानना चाहते है, तो उसकी Balance Sheet से Equity और Borrowings को पता कर ले।
Debt to Equity Meaning in Hindi
फिर Borrowings में Equity का भाग दे जिस से आपको Debt to Equity Ratio मिल जाएगा।

अगर किसी कंपनी का Total Debt 100 करोड़ है और उसकी Equity 200 करोड़ है, तो उसका

Debt to Equity Ratio = 100 करोड़ / 200 करोड़ = 0.5  

Debt to Equity Ratio

जो की क़र्ज़ की स्थिति नियंत्रण में है वह बताता है।

और अगर आप खुद गिन ना न चाहे तो सीधे आप Google में “कंपनी के नाम के पीछे Debt to Equity लिखकर Search कर ले।

जैसे अगर आपको D’Mart का Debt to Equity चाहिए तो Search करे ‘D’Mart Debt to Equity

जिस से आपको Moneycontrol जैसी Website की लिंक मिलेगी जिसमे आपको उस कंपनी का Debt to Equity मिल जाएगा।

निष्कर्ष :

तो इन सभी बातो से हमने यह सीखा की Debt to Equity Ratio एक बहुत ही जरुरी ratio है।

हमें सिर्फ Debt to Equity 1 से कम हो उसी कंपनी में निवेश करना चाहिए।

हा लेकिन कोई बैंक या NBFC के लिए हम Debt to Equity Ratio नहीं देख सकते।

क्युकी उनका तो पूरा व्यापार ही क़र्ज़ पर चलता है।

तो दोस्तों उम्मीद करता हु आपको Debt to Equity Ratio के बारे में समझ में आ गया होगा।

इसके बारे में कोई सवाल हो तो आप हमें Comment में बता सकते है।

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By Gaurav

Gaurav Popat एक निवेशक, ट्रेडर और ब्लॉगर है, जो की शेयर बाज़ार मे बहुत रुचि रखता है। वह साल 2015 से शेयर बाज़ार मे है। पिछले 7 साल मे खुद अलग अलग जगह से सीख कर और अनुभव के आधार पर शेयर बाज़ार और निवेश के विषय मे यहा पर जानकारी देता है।