दोस्तो जैसे की आप जानते है की अभी हम Fundamental Analysis की series चला रहे है। जिसमे इस से पहले हम कई सारे ratio के बारे मे जान चुके है। जिसमे हमने Debt to Equity ratio के बारे में जाना था।
तब हमने यह जाना था की कंपनिया अपने व्यापार के लिए क़र्ज़ भी लेती है।
और वह क़र्ज़ नियंत्रण में हो तो कंपनी में कोई समस्या नहीं होती।
लेकिन अगर क़र्ज़ बहुत ज्यादा हो तो कंपनी की हालत बहुत बुरी हो जाती है। क्यूकी अगर किसी कंपनी पर कर्ज़ हद से ज्यादा होगा और किसी समय उसके Business मे थोड़ा बहुत भी उतार चढ़ाव दिखा तो एसा हो सकता है की कंपनी अपने मुनाफे मे से कर्ज़ का ब्याज तक न चुका पाए।
जिसकी वजह से कंपनी मे working capital घटती जाएगी और हो सकता है उसके पास business करने के लिए पैसा ही ना बचे। एसे मे वह किसी और जगह से loan लेगी। फिर उसका भी ब्याज देना पड़ेगा। इस तरह ज्यादा कर्ज़ वाली कंपनी ब्याज के दुष्चक्र मे फसती ही चली जाएगी। एसे मे कंपनी की और निवेशको की हालात बहुत खराब हो जाएगी।
क्यूकी ब्याज न चुका पाने की वजह से धीरे धीरे कंपनी के ऊपर loss बढ़ता है और फिर कर्ज़ का बोज बढ़ता जाता है।
इस स्थिति मे जब तक किसी तरह से कंपनी के ऊपर का कर्ज़ कम न हो तब तक business का आगे बढना बहुत मुश्किल हो जाता है।
Debt to Equity Ratio से हम कंपनी के क़र्ज़ की स्थिति तो जान सकते है।
लेकिन कंपनी उस क़र्ज़ ब्याज भर सकती है या नहीं यह कैसे पता चले ? यह भी तो जानना बहुत जरूरी है ना।
इसके लिए ही है, Interest Coverage Ratio .
यहाँ पढे : Current Ratio क्या है ? इसे कैसे निकालते है ?
क्या है Interest Coverage Ratio?
जैसे हमने ऊपर देखा यह Ratio कंपनी के क़र्ज़ के ब्याज भरने की स्थिति को जान ने में मदद करता है।
इस Ratio से हम पता लगा सकते है, कंपनी अपने चुकाने पड़ रहे ब्याज के कितने गुना मुनाफा कमाती है।
यानी अगर कंपनी को 100 रुपए ब्याज देना है, तो वह कितने रुपए का प्रॉफिट कमा रही है।
क्या वह पुरे 100 रुपए का ब्याज भरने में सक्षम है ? या नहीं।
Interest Coverage Ratio Formula :
कंपनी के EBIT यानी Earnings Before Interest and Tax में Interest का भाग देने से Interest Coverage Ratio खोज सकते है।
कंपनी के EBIT के बारे में हम पहले ही जान चुके है।
अगर आप नहीं जानते तो यहाँ से जान ले : EBIT क्या है ?
Interest Coverage Ratio Example :
उदहारण के तौर पर
कंपनी ABC के लिए इस वित्तीय वर्ष का EBIT 100 करोड़ रुपए है।
और ब्याज की राशि जो उसे चुकानी है वह है 10 करोड़।
तो उस कंपनी के लिए
Interest Coverage Ratio = 100 करोड़ / 10 करोड़ = 10
यानी कंपनी को 10 रुपए के मुनाफे में से 1 रुपए का ब्याज भरना है।
किसी भी कंपनी के लिए यह ratio जितना ज्यादा उतना ही आसानी से वह कंपनी ब्याज चूका सकती है।
अगर किसी कंपनी के लिए यह ratio 1 से कम है, तो समझ ले की वह कंपनी ब्याज भरने लायक मुनाफा भी नहीं कमा रही है।
ऐसी कंपनी से दूर रहने में ही समझदारी है।
इस लिए जब भी किसी कंपनी में निवेश करने का निर्णय करे उसका Interest Coverage Ratio जरूर जाने।
तो दोस्तों यह था Interest Coverage Ratio का ज्ञान। जिसके द्वारा आप किसी भी कंपनी की कर्ज़ के ब्याज चुका ने की क्षमता के बारे मे पता लगा सकते है। उसके बाद हम जो कंपनी मे निवेश करने वाले है उसकी क्षमता जानकार उसमे निवेश कर सकते है।
उम्मीद करता हु आपके लिए यह ज्ञान उपयोगी साबित होगा।